लेख : एक समस्या ऐसी भी।

भारत आज एक विशाल देशों की कतार में गिना जाता है,भारत को आजाद हुए 70 वर्षो से ज्यादा हो चुके है भारत ने हर क्षेत्र में बहुत ज्यादा तरक्की भी की है जब हम अपनी नज़रों को चारो तरफ दौड़ाते है तो चारो तरफ बड़ी बड़ी महंगी महंगी गाड़ी दौड़ती नजर आती है,6  8 लाइन के हाईवे नजर आते है,सड़क के ऊपर बने पुलो पर मेट्रो दौड़ती नजर आती है, सड़क के नीचे भी मेट्रो दौड़ती नजर आती है, 4G इंटरनेट के साथ शहरों और कस्बों दोनों में ही सबके हाथ में मल्टीमीडिया फोन नजर आता है, आज भारत में बड़ी बड़ी फैक्ट्री और कंपनी लग चुकी है पूरे विश्व में आज भारत की एक अलग पहचान है।पर अफसोस मुझे आज भी भारत की दो तस्वीर नजर आती है एक वो जिसके बारे में सब बात करते है जैसे कि मैंने ऊपर जिक्र किया है और एक तस्वीर वो जिसपर कोई बात नहीं करता या बात नहीं करना चाहता,बात करते है भारत के सफाईकर्मियों के बारे में जो आज भी बिना किसी सुरक्षा उपकरणों के बिना सीवर में घुसने पर मजबुर है,उनकी स्थिति आजादी से पहले भी वही थी और आज आजादी के 70 वर्ष बाद भी वही है,क्यों भारत में आज भी एक समाज सीवर में घुसकर गंद मैला अपने हाथो से उठाने पर मजबुर है, जरा सोचिए जिस गंदे नाले के पास से गुजरने पर आप और हम अपना मुंह ढक लेते है या नाक मुंह सिकोड़ते है तो जरा एक बार उनके बारे में सोचिए जो दिन रात 2 वक्त की रोटी के लिए ये काम करने पर मजबुर है,और भारत में ये काम केवल एक समाज, दलित समाज तक सीमित किया हुआ है ये पितृ सत्ता के कारण है, भारत में हर दलित सफाईकर्मी नहीं होता पर अफसोस हर सफाईकर्मी दलित जरूर होता है,भारत में हर वर्ष जितने जवान बॉर्डर पर आतंकवादी हमले में शहीद होते है उनसे ज्यादा सफाईकर्मी हर वर्ष सीवर और गटर में घुसकर अपनी जान खो देते है और अफसोस उनके लिए न तो कोई मोमबत्ती जलाता और न ही कोई श्रद्धांजलि देता, क्या ये लोग देश के लिए शहीद नहीं हो रहे है?आखिर हमे सोचना चाहिए क्यों इनकी हालात आज भी ऐसे बने हुए है,क्यों समाज में इस समस्या के बारे में कोई बात नहीं करता ,जरा एक बार आप भी अपने आप से पूछिए?आप जानकर हैरान होंगे 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने भी इस प्रथा पर रोक लगाने के आदेश दिए पर हमारी सरकारों ने इसपर कोई मजबूत कदम नहीं उठाया,आप जानकर हैरान होंगे कि हांगकांग देश में एक आदमी को सेवर में उतारने के लिए पहले 15 महीनों की ट्रेनिंग दी जाती है और उस इंसान को 15 लाईसेंस भी साथ में लेने पड़ते है,उसके बाद उसको पूरे सुरक्षा इंतजाम पूरी बॉडी कवर्ड करके ऑक्सीजन सिलिंडर के साथ उसे इमरजेंसी में सीवर में उतारा जाता है,पर हमारे भारत में ये काम केवल एक समाज पर थोपा हुआ है।क्या उनका जीवन ऐसे ही चलता रहेगा,आज वो कल उनके बच्चे ऐसे ही सीवर में घुसकर अपनी जान खोते रहेंगे।आपको और हमको इस समस्या पर लगातार बात करनी होगी, समाज में ये भी एक अहम समस्या है इसको उजागर करना होगा। और सरकारी तंत्र पर दबाव बनाना होगा कि ऐसी कोई मैकेनिज्म बनाए, मशीनें बनाए जिस से इनका काम आसान हो सके और ये लोग सीवर में उतरने पर मजबुर न हो,और दलितों की स्थिति में बदलाव नजर आ सके,आखिर वो भी इस महान देश भारत की जन गण मे शामिल हो सके।

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