मेरे गाँव के लोग।

शीर्षक :  मेरे गांव के लोग

मेरे गांव के लोग 
आजकल बहुत व्यस्त हैं ।
दिनभर करते हैं काम,
शाम को दारू पीकर मस्त हैं ।।

आजकल बहुत मिल जाती है,
इनको बिन खर्चे कोई दाम,
सुबह से संध्या तक हो चकल्लस,
हुआ तिमर लग जाएं ज़ाम ।।

यहां सभी को लगता है,
बस अपना पलड़ा ही भारी है ।
बिन पिए रहते गुटबाजी में,
पी लें तो सबसे गहरी यारी है ।

शिक्षा,सड़क और स्वास्थ्य की,
इन्हे तनिक न चिंता भाती है,
खुमार चढ़ा है दारू पीने का
जोकि नित समय से इन्हे मिल जाती है ।

गांव के बच्चे हुए लफंगे,
बिन गाली ये बात करें ना,
मां - बहन - बेटी व बुजुर्गों की,
सम्मान व इज्जत का ख़्याल करें ना ।

देख हाल अपनी बस्ती का,
आघात गुज़ारिश करता है,
वोट और बेटी की खातिर,
अपने उसूलों पर ही चलता है ।

✒️✒️✒️✒️
आर एस आघात

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