गंगा में बहा दो न्यायशास्त्र को। साँसों को ही विकास समझें।

भारत।नई दिल्ली। आज देश में चारो ओर साँसों के लिये मचे कोहराम एव सिसकती जिंदगियों के बीच, भारत सरकार की ओर से विकास का कर्कश स्वर कानों में गूँज रहा है। विकास शब्द का सही मायनों में अर्थ क्या है? हमारे देश के यश्यश्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बेहतर शायद ही कोई समझता हो। जर्मन के तानाशाह एडॉल्फ हिटलर ने कहा था कि, देश की जनता जब शासक से सवाल करने का दुःसाहस करने लगे तो उसे इतना कुचल दो कि वह साँसों को ही विकास समझे जिसे हमारे देश के यश्यश्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व उत्तर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने आत्मसात किया है। जगत नियंता, दीनबन्धु सर्वेश्वर अंतर्यामी, आपदा प्रबंधन के स्वामी योगी आदित्यनाथ ने तो वैश्विक महामारी से निबटने का समूचा रोड मैप या यूँ कह ले ब्लूप्रिंट तैयार कर ही लिया है, जो सरकार के आपदा प्रबंधन विरुद्ध शोर मचायेगा उसे सीधे जेल में डाल दिया जायेगा ऐसे में किसकी हिम्मत है जो सरकार को अस्पतालों में साँसों के आभाव में दम तोड़ते आँकड़ों को दिखाये। देश व प्रदेश की जनता को समझना होगा कि, हम सिर्फ सरकार के वोटर्स और आँकड़ों से ज्यादा कुछ नहीं है, अस्पताल से लेकर शमशान घाट तक सिर्फ कतारें ही कतारें हैं। अब इससे ज्यादा देश का विकास क्या होगा जिस देश के मुर्दे इतने अनुशासित हों कि, कतार में लगकर अपनी बारी की प्रतीक्षा करते हों और यदि ये विकास मॉडल पसन्द आया हो तो, मैं ईश्वर से कामना करूँगा कि, देश भर के हर आँगन से कम से कम एक  तड़ीपार हो, एक बलात्कारी, एक खूनी, एक चोर, लुटेरा जरूर हो ताकि देश की सर्वोच्च पंचायत संसद में बैठकर, देश  के विकास को नई गति व नया आयाम दे। वैसे सामाजिक विद्वानों के मतानुसार आज देश की सर्वोच्च पंचायत संसद भवन को पवित्र चम्बल घाटी, और सांसद चम्बल के महा डाकूओं से ज्यादा कुछ नहीं है, चम्बल घाटी के डाँकू गन दिखाकर लूटते हैं ये, सत्ता का बल पौरुष दिखाकर कतार में खड़ा करके लूट रहे हैं। ये कैसा विकास है भाई? कभी नोटबन्दी की कतार, कहीं साँसों के लिए ऑक्सीजन की कतार, कहीं शमशान घाट पर अपनी बारी की प्रतीक्षा करते मुर्दों की कतार? यदि वास्तव में ये विकास है तो फिर, आग लगा दो ऐसे चुनाव आयोग को जो देश की जनता की बेबसी नहीं देख सकता, गंगा में बहा दो भारत के विशाल न्यायशास्त्र को जो सिर्फ गरीब जनता को सजा देना जानता है, भारत के महान संविधान को पवित्र अग्नि में जला दिया जाये ताकि, कोई तड़ीपार पवित्र महान भारतीय संविधान का सामूहिक बलात्कार न करें।

डॉ0वी0के0सिंह

(खोजी पत्रकार)


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