बागपत के अमन ने नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी से सीखा वैश्विक करुणा और शांति का पाठ

करुणा ही वह शक्ति है जो दुनिया को जोड़ सकती है। इस विचार को साकार करते हुए बागपत के युवा सामाजिक कार्यकर्ता और प्रदेश के सर्वोच्च युवा पुरस्कार से सम्मानित युवा अमन कुमार ने करुणा पर आधारित अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम को पूर्ण किया है। सत्यार्थी मूवमेंट फॉर ग्लोबल कम्पैशन द्वारा नई दिल्ली और राजस्थान में आयोजित इस सत्यार्थी समर स्कूल में 8 जून से 5 जुलाई तक दुनियाभर से चयनित 25 यूथ चैंपियन ने भाग लिया। मैक्सिको, लाइबेरिया, संयुक्त राष्ट्र अमेरिका, नेपाल, भूटान, कैमरून, तिमोर लेस्ते, वियतनाम, फिलिस्तीन, तजाकिस्तान सहित अन्य देशों से आए युवाओं ने 30 दिनों तक विशेषज्ञों से प्रशिक्षण पाया और विभिन्न गतिविधियों में शामिल हुए।


नई दिल्ली स्थित भारत पर्यावास केंद्र में आयोजित समापन समारोह में नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी, रेमन मैग्सेसे पुरस्कार विजेता डॉ. किरण बेदी और सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश अर्जन कुमार सीकरी के कर कमलों से अमन कुमार को प्रमाण पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया।

अमन कुमार ने कहा कि उन्होंने विविध क्षेत्रों के विशेषज्ञों और विभिन्न समस्याओं से पीड़ित समुदायों से आए युवाओं से बहुत कुछ सीखा। सबसे बड़ी सीख रही कि करुणा का अर्थ केवल दया अथवा सहानुभूति नहीं है बल्कि यह दूसरों के दुःख को अपना समझकर समाधान के लिए एकजुट होने का साहस देती है। यही दुनिया में न्याय, समानता, शांति और समृद्धि की कुंजी है।

समारोह के दौरान प्रतिभागी युवाओं द्वारा शुरू किए गए सत्यार्थी यूथ नेटवर्क को भी लॉन्च किया गया जिसका उद्देश्य करुणा के वैश्वीकरण में युवाओं की भागीदारी सुनिश्चित करना है। यह समर स्कूल ऐसे समय में आयोजित हुआ जब दुनिया जलवायु संकट और अन्य चुनौतियों से जूझ रही है और करुणा को नीतियों और नेतृत्व का आधार बनाने की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक महसूस की जा रही है।

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