आर्य समाज संजय नगर का यजुर्वेद परायण महायज्ञ हर्षोल्लास से संपन्न

आर्य समाज संजय नगर के पंच दिवसीय यजुर्वेद परायण महायज्ञ की पूर्णाहुति एवं मानव जीवन में संस्कारों का महत्व सम्मेलन हर्षोल्लास से रामलीला मैदान,संजय नगर,सेक्टर 23 में संपन्न हुआ।

यज्ञ के ब्रह्मा डा योगेश शास्त्री (गुरुकुल कांगड़ी हरिद्वार) रहे ओर वेदपाठ गुरुकुल बरनावा के आचार्य जयवीर शास्त्री एवं आचार्य सोहित योगी (गुजरात) ने किया।डा  योगेश शास्त्री ने यज्ञ की पूर्णाहुति के उपरांत अपने उद्बोधन में लोगों को बताया कि जो लोग विद्वान,धर्मात्मा,सज्जनों के साथ मिलकर यज्ञ आदि उत्तम कर्म करते हैं वह दुखों से,दुर्गुणों से,दुर्व्यसनों से बचे रहते हैं और सुख की प्राप्ति करते हैं।

बिजनौर से पधारे सुप्रसिद्ध भजनोपदेशक कुलदीप विद्यार्थी, छवि आर्या ने अपने मधुर भजनों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

मुख्य वक्ता डा सुकामा (प्राचार्या विश्वारा कन्या गुरुकुल,रुड़की) ने मानव जीवन में संस्कारों की अहम भूमिका पर विस्तृत चर्चा  करते हुए कहा कि यदि मानव जीवन में संस्कार नहीं है तो वह दानव बन जाता है, सुसंस्कारित मानव देवता बन जाता है।सुसंस्कारित करने के लिए प्रथम गुरु मां,दूसरा पिता ओर तीसरा आचार्य है।उन्होंने बताया जितना उपदेश ओर उपकार माता के द्वारा बालक को पहुंचता है उतना अन्य किसी से नहीं।सुसंस्कारित युवा ही राष्ट्र की धरोहर है।उन्होंने गुरुकुल शिक्षा प्रणाली पर बल देते हुए कहा कि गुरुकुल शिक्षा पद्धति ही नहीं अपितु जीवन निर्माण की सर्वोत्तम पद्धति है।मन हमारा जड़ है ऐसा मानने पर पल भर में विजयी हो जाओगे।जिसने मन को जीत लिया सारी इंद्रियां उसके बस में हो जाएंगी।उन्होंने अपने बच्चों को संस्कारित करने का संकल्प कराया तभी वह बालक आज की चुनौतियों का सामना कर पाएंगे।

सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा के कोषाध्यक्ष माया प्रकाश त्यागी ने पंच दिवसीय यजुर्वेद परायण महायज्ञ एवं मानव जीवन में संस्कारों का महत्व सम्मेलन में अपने ओजस्वी उद्बोधन में कहा कि ईश्वर सबकी आत्माओं में विद्यमान है,अंतर्मुखी होकर उससे सात्विक बुद्धि की प्रार्थना करने से कुछ ही दिनों में व्यवहार में फर्क नजर आएगा,कुटिल विचारों पर नियंत्रण होगा,विचारों में विनम्रता आएगी,समाज में सम्मान मिलेगा।गलती होने पर प्रायश्चित करो,स्वयं की भूल सुधारने के लिए यह आवश्यक है।उन्नति का यह प्रथम उपाय है।जीवन की वैतरणी आराम से पार करेंगे।उन्होंने बताया कि चार बाते जीवन में धारण करने से जीवन सफल होगा।परोपकार की भावना,यज्ञ को जीवन से जोड़ें,श्रद्धा को धारण करें और शुभसंकल्प करें,जीवन सफल हो जायेगा।

 आचार्य जयवीर शास्त्री ने कहा कि यज्ञ हमारे जीवन में हो तो यह हमारा सौभाग्य है। महर्षि दयानंद सरस्वती के महायज्ञ में सम्मलित होना सौभाग्य है उनके अनुयाइयों को नमन करते हुए बोले कि सत्य और न्याय के लिए जितना संघर्ष दयानंद और श्रद्धानन्द ने किया है वह अतुलनीय है।उनसे प्रेरणा लेकर हजारों क्रांतिकारी बने उनसे सबक लेना चाहिए।

मंच का कुशल संचालन यशस्वी संयोजक सेवा राम त्यागी ने किया,उन्होंने दूर दराज से पधारे आर्य समाजों के प्रतिनिधियों एवं श्रोताओं का धन्यवाद ज्ञापित किया।

इस अवसर पर मुख्य रूप से सर्वश्री डॉ प्रमोद सक्सेना,डॉ प्रतिभा,आशा आर्या,वी के धामा, सत्य पाल आर्य,राजेश्वर शास्त्री, लक्ष्मण चौहान,रामेश्वर शास्त्री, श्रीपाल त्यागी,अजय दिनकरपुर, प्रेम दत्त त्यागी,प्रमोद त्यागी,चौ यश पाल,नवीन त्यागी,राम निवास शास्त्री, नरेश प्रसाद एवं योगी प्रवीण आर्य आदि उपस्थित रहे।

शांति पाठ व ऋषि लंगर के साथ सभा संपन्न हुई।

About Author

Administrator

मुख्य संवाददाता

Related Articles

`
Get in touch

News India Rights

Phone: +91 9958712797

Email: newsindiarights@gmail.com

Connect with Facebook