मुजफ्फरनगर में फर्जी डिग्री पर नौकरी कर रहा प्राथमिक विद्यालय का शिक्षक गिरफ्तार।
— Tuesday, 16th March 2021मुजफ्फरनगर। दस साल से फर्जी डिग्री पर नौकरी कर रहे प्राइमरी स्कूल के अध्यापक को नई मंडी कोतवाली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। गिरफ्तार अध्यापक की बीएड की डिग्री पर संदेह होने पर एबीएसए ने नई मंडी कोतवाली में 9 माह पूर्व रिपोर्ट दर्ज करायी थी। गिरफ्तार अध्यापक को बर्खास्त भी कर दिया गया है। सोमवार को पुलिस ने उसका चालान कर दिया है।
दस साल से शिक्षा विभाग में तैनात था शिक्षक
छपार थाना क्षेत्र के गांव सिम्भालकी निवासी अध्यापक अनिल चौधरी नई मंडी कोतवाली क्षेत्र के गांव बझेडी में स्थित प्राइमरी स्कूल में अध्यापक के पद पर कार्यरत था। वह दस साल से शिक्षा विभाग में तैनात है। 3 जुलाई 2020 को एबीएसए सदर योगेश शर्मा ने अध्यापक अनिल चौधरी की बीएड की डिग्री पर संदेह व्यक्त करते हुए नई मंडी कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज करायी थी। फिलहाल इस मामले की विवेचना एसआई विजयपाल अत्री कर रहे थे। विवेचक ने बताया कि अध्यापक ने शिक्षा विभाग में वर्ष 2004-2005 के सत्र में आगरा यूनिवर्सिटी से बीएड की डिग्री के आधार पर शिक्षा विभाग में नौकरी ज्वाइन की थी। रिपोर्ट दर्ज होने के पश्चात आगरा यूनिवर्सिटी से इस संबंध में सम्पर्क किया तो यूनिवर्सिटी ने लिखकर दिया कि अध्यापक ने यूनिवर्सिटी से बीएड नहीं किया है। फर्जी डिग्री के आधार पर नौकरी करने वाले आरोपी अध्यापक को गिरफ्तार कर लिया है। अध्यापक का आईपीसी की धारा 420/467/468/471 में चालान कर दिया गया है।
46 लाख की रिकवरी का नोटिस जारी
फर्जी डिग्री पर नौकरी करने वाले अध्यापक को शासन ने बर्खास्त कर दिया है। शासन से दस साल की नौकरी के दौरान वेतन व अन्य सुविधाएं प्राप्त करने वाले आरोपी अध्यापक को शासन से 46 लाख की रिकवरी का नोटिस भेजा गया है। जल्द ही शासन रिकवरी को आरोपी अध्यापक से वसूल करेगा।
एसआई विजय पाल अत्री ने बताया कि शिक्षा विभाग में भर्ती हुए 4300 अध्यापकों की डिग्री पर सवाल खडे हुए थे। इस मामले की जांच लखनऊ एसआईटी द्वारा की गयी थी। जांच में सामने आया था कि कुछ अध्यापकों ने फर्जी डिग्री के आधार पर नौकरी की थी, जबकि कुछ अध्यापकों ने यूनिवर्सिटी में क्लास ज्वाइन न करते हुए डिग्री प्राप्त की थी। जांच में सामने आया कि यूनिवर्सिटी में उनकी उपस्थिति भी फर्जी तरीके से दर्शायी गयी थी। शासन ने सभी अध्यापकों को बर्खास्त कर दिया गया था। बर्खास्त होने के पश्चात सभी अध्यापक हाइकोर्ट पहुंचे तो हाइकोर्ट ने इस संबंध में शासन से जवाब तलब किया । शासन के जवाब दाखिल करने के पश्चात हाइकोर्ट ने सभी अध्यापकों की बर्खास्तगी को सही माना था। इस मामले में कई जिलों में अध्यापकों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करायी गयी थी।