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एक अंबेडकरवादी का चरित्र और जिम्मेदारियाँ बाबा साहेब डॉ अंबेडकर के विचारों, सिद्धांतों और उनके द्वारा रचित भारतीय संविधान के मूल्यों पर आधारित होना चाहिए
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एक अंबेडकरवादी का चरित्र और जिम्मेदारियाँ बाबा साहेब डॉ अंबेडकर के विचारों, सिद्धांतों और उनके द्वारा रचित भारतीय संविधान के मूल्यों पर आधारित होना चाहिए

* *एक अंबेडकरवादी का चरित्र और जिम्मेदारियाँ बाबा साहेब डॉ अंबेडकर के विचारों, सिद्धांतों और उनके द्वारा रचित भारतीय संविधान के मूल्यों पर आधारित होना चाहिए। अंबेडकरवादी वह व्यक्ति है जो सामाजिक न्याय, समता, स्वतंत्रता, बंधुत्व और मानवीय गरिमा के लिए प्रतिबद्ध हो। नीचे एक अंबेडकरवादी के चरित्र, व जिम्मेदारियों और संविधान के प्रति उनके कर्तव्यों का वर्णन किया गया है:*


* एक अंबेडकरवादी को सामाजिक भेदभाव, जातिवाद, असमानता और शोषण के खिलाफ दृढ़ता से खड़ा होना चाहिए। उसका चरित्र समावेशी, सहानुभूतिपूर्ण और निष्पक्ष होना चाहिए। ज्ञान और तर्क पर आधारित सोच:
* डॉ. अंबेडकर ने शिक्षा और बौद्धिकता को बहुत महत्व दिया। एक अंबेडकरवादी को तर्कसंगत, वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए और अंधविश्वास या रूढ़ियों से मुक्त होना चाहिए। 
* अंबेडकरवादी को विनम्र, नैतिक और दूसरों के प्रति सम्मानजनक होना चाहिए। उसे अपने व्यवहार में संविधान के मूल्यों जैसे समानता और बंधुत्व को प्रतिबिंबित करना चाहिए।

* अंबेडकरवादी में अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने का साहस होना चाहिए, चाहे वह सामाजिक, आर्थिक या राजनीतिक हो। उसे कमजोर और वंचित वर्गों के अधिकारों के लिए लड़ने की प्रेरणा लेनी चाहिए।

* शिक्षा को अंबेडकर ने मुक्ति का साधन माना। एक अंबेडकरवादी को स्वयं को शिक्षित करने और दूसरों को जागरूक करने का प्रयास करना चाहिए।
* एक अंबेडकरवादी की जिम्मेदारियाँ सामाजिक समानता को बढ़ावा देना:जाति, धर्म, लिंग, या आर्थिक स्थिति के आधार पर भेदभाव को खत्म करने के लिए काम करना।
* समाज में वंचित समुदायों (दलित, आदिवासी, महिलाएँ, अल्पसंख्यक) के उत्थान के लिए प्रयास करना।
* शिक्षा और जागरूकता फैलाना:अंबेडकर के विचारों, विशेष रूप से उनके सामाजिक न्याय, बौद्ध धर्म और संवैधानिक दृष्टिकोण को जन-जन तक पहुँचाना।
* लोगों को उनके संवैधानिक अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक करना।
* सामाजिक कुरीतियों जैसे छुआछूत, बाल विवाह, या लैंगिक असमानता के खिलाफ सक्रिय रूप से काम करना।
* समुदायों को संगठित कर सामूहिक रूप से सामाजिक परिवर्तन के लिए प्रयास करना। 
* संविधान के प्रति निष्ठा रखना और उसके मूल सिद्धांतों—न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुत्व—को अपने जीवन में अपनाना।
* लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में भागीदारी करना, जैसे मतदान और सामाजिक चर्चाओं में हिस्सा लेना।
* वंचितों का सशक्तिकरण करना 
* आर्थिक, शैक्षिक और सामाजिक रूप से कमजोर वर्गों को सशक्त बनाने के लिए नीतियों और कार्यक्रमों का समर्थन करना। उनके लिए अवसरों को बढ़ावा देना, जैसे शिक्षा, रोजगार राजनीतिक नेतृत्व के क्षेत्र में।

* *एक अंबेडकरवादी को संविधान के लिए क्या करना चाहिए।*
* संविधान के मूल ढांचे और उसके सिद्धांतों को किसी भी प्रकार के उल्लंघन से बचाने के लिए सजग रहना चाहिए।
* संवैधानिक संस्थाओं (जैसे न्यायपालिका, चुनाव आयोग) की स्वतंत्रता का समर्थन करना चाहिए। संवैधानिक अधिकारों और कर्तव्यों का प्रचार-प्रसार करना चाहिए: लोगों को उनके मौलिक अधिकारों (जैसे समानता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) और कर्तव्यों (जैसे राष्ट्रीय एकता, पर्यावरण संरक्षण) के बारे में जागरूक करना। संविधान की प्रस्तावना को समझकर दुसरो को समझाना चाहिए और उसका प्रचार करने में योगदान देना।

* लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में सक्रिय भागीदारी, जैसे मतदान, नीति निर्माण में योगदान और सामाजिक मुद्दों पर रचनात्मक चर्चा करना। संविधान के तहत दिए गए समानता और न्याय के सिद्धांतों को लागू कराने के लिए सरकार और समाज पर दबाव बनाना।
* संवैधानिक शिक्षा को बढ़ावा देना:स्कूलों, कॉलेजों और समुदायों में संविधान की मूल भावना को समझाने के लिए कार्यशालाएँ, सेमिनार और जागरूकता अभियान चलाना। 
* अंबेडकर के संवैधानिक दृष्टिकोण को युवाओं तक पहुँचाना।
* संविधान के अनुरूप समाज निर्माण:संविधान के आदर्शों—समानता, स्वतंत्रता, और बंधुत्व—को समाज में लागू करने के लिए नीतियों और सामाजिक पहल का समर्थन करना।
* संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ होने वाली गतिविधियों, जैसे सांप्रदायिकता या असमानता, का विरोध करना एक अंबेडकरवादी की जिम्मेदारी हैं।
* अंबेडकर विचारधारा मानवतावाद पर आधारित हैं इसका पालन करना हम सभी भारतीयों की जिम्मेदारी है

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