रविन्द्र जैन ने अपने मधुर गायन व संगीत से लोगों के दिलों में बनाई अमिट पहचान - डॉ दिनेश बंसल

विश्वविख्यात संगीतकार और गायक रविन्द्र जैन को उनकी पुण्यतिथि पर जनपदभर में याद किया गया और उनको श्रद्धांजलि अर्पित की गयी। रविन्द्र जैन की आवाज और उनके संगीत के बड़े प्रशंसको में शामिल हरित प्राण ट्रस्ट के अध्यक्ष व प्रमुख समाजसेवी डा दिनेश बंसल ने बताया कि रविन्द्र जैन का जन्म 28 फरवरी वर्ष 1944 को उत्तर प्रदेश राज्य के अलीगढ़ शहर में हुआ था। बताया कि वे जन्म से ही दृष्टिहीन थे। रविन्द्र जैन को मिलाकर वे सात भाई थे और उनकी एक बहन थी। रविन्द्र जैन की स्मरण शक्ति इतनी अधिक थी कि वे एक सुनी गयी बात को कभी भूलते नही थे। उन्होंने अपने भाईयों से कविता, उपन्यास सहित अनेकों साहित्य व धार्मिक ग्रन्थ सुने और उनको कंठस्थ किया। वे बड़े ही धार्मिक प्रवृत्ति के थे और प्रतिदिन मंदिर जाते थे और प्रतिदिन मंदिर में एक भजन सुनाना उनकी दिनचर्या में शामिल था। उनकी आवाज इतनी मधुर थी की श्रद्धालुगण समय से मंदिर पहुॅचकर उनके भजन का आनन्द उठाते थे। बताया कि शुरूआती समय में उनको अनेकों कठनाईयों का सामना करना पड़ा। कमाई की शुरूआत कोलकाता में एक संगीत सिखाने के टयूशन के माध्यम से हुई और मेहनताने के बदले उनको एक नमकीन समोसा और चाय मिलती थी। पहली नौकरी बालिका विद्या भवन में 40 रूपये महीने से प्रारम्भ हुई। धीरे-धीरे उनको सार्वजनिक मंच पर प्रस्तुति देने के लिए 151 रूपये मिलने लगे। वर्ष 1968 में रविन्द्र जैन मुम्बई आ गये। रविन्द्र जैन का पहला फिल्मी गीत 14 जनवरी वर्ष 1972 को मोहम्मद रफी की आवाज में रिकार्ड हुआ। डा दिनेश बंसल ने बताया कि राजश्री प्रोड़क्शन के ताराचंद बड़जात्या से रविन्द्र जैन की मुलाकात उनके लिए मिल का पत्थर साबित हुई। इसके बाद रविन्द्र जैन ने कभी पीछे मुड़कर नही देखा। उस दौर के सभी शीर्ष फिल्म निर्माता, अभिनेता, अभिनेत्री, गायक उनकी आवाज और संगीत के दीवाने थे। सैंकड़ों फिल्मों के साथ-साथ रामायण, श्री कृष्णा, जय वीर हनुमान, अलिफ लैला, साई बाबा, जय गंगा मैया, महा काव्य महाभारत सहित अनेकों टीवी सीरियलों में दिये गये रविन्द्र जैन के गीत, संगीत व गायन ने उनको उस शीर्ष पर पहुॅंचा दिया जहां पर आज तक कोई भी संगीतकार नही पहुंच पाया। रविन्द्र जैन के कला क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा उनको देश के सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार पद्म श्री से सम्मानित किया गया। कहा कि 9 अक्टूबर वर्ष 2015 को भले ही वह शरीर रूप में हमारे बीच ना रहे हो, लेकिन वह अपनी आवाज और संगीत से हमेशा हमारे बीच रहेंगे। डा दिनेश बंसल ने कहा कि रविन्द्र जैन ने विपरित परिस्थतियां होते हुए भी अपनी दृढ़ संकल्प शक्ति से सफलता की शीर्ष ऊॅचाईयों को छुआ। वह हम सभी के लिए प्रेरणा के श्रोत है।

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