पौरोहित्य प्रशिक्षण शिविर का हुआ शुभारंभ.!
— Friday, 19th February 2021उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थानम् लखनऊ द्वारा संचालित पौरोहित्य प्रशिक्षण शिविर द्वारा प्रदेश की जनता को संस्कार युक्त बनाने के लिए एक महत्त्वपूर्ण कार्य योजना प्रारम्भ की है,18 फरवरी 2021 से पूरे प्रदेश में पौरोहित्य प्रशिक्षण कार्यक्रम जिसमें संस्कृत संभाषण योग प्रशिक्षण आदि का शुभारंभ किया गया,
यह पौरोहित्य प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन महर्षि दयानंद संस्कृत गुरुकुल महाविद्यालय,पटेल नगर, गाजियाबाद में किया गया। गुरुकुल के ब्रह्मचारियों द्वारा ईश्वर स्तुति प्रार्थनोपासना मंत्रों व मुख्य अतिथि बालेश्वर त्यागी,वशिष्ठ अतिथि राम प्रकाश शर्मा द्वारा दीप प्रज्वलित कर शुभारंभ किया गया।
केंद्रीय आर्य युवक परिषद् उत्तर प्रदेश के प्रांतीय महामंत्री प्रवीण आर्य,प्रधान राजेश्वर शास्त्री ने योग,यज्ञ व ईश भक्ति के गीतों द्वारा श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया।
इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए रक्षा मंत्रालय, भारत सरकार की हिंदी सलाहकार समिति के पूर्व सदस्य वैदिक विद्वान डॉ रामप्रकाश शर्मा " सरस" ने कहा कि" योगी सरकार- संस्कारों की सरकार " है,इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम भारतीय जनता पार्टी की सरकार ही चला सकती है,क्योंकि देश के महान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी सदैव ही भारतीय संस्कृति के वैज्ञानिक स्वरूप को वैश्विक मंचों पर बहुत प्रभावी ढंग से रखते आएं हैं।आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानन्द सरस्वती ने अपनी अमर कृति संस्कार विधि" में संस्कारों का महत्त्व एवं विधान तथा आवश्यकता का वर्णन किया है,यह कृति मानव मात्र के कल्याण के लिए है।ऋग्वेद का प्रथम मंत्र अग्निमीडे पुरोहितं यज्ञस्य से प्रारंभ होता है,पुरोहित का मानव समाज में महत्त्व कितना है यह इस मंत्र सेआर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानन्द सरस्वती ने अपनी अमर कृति संस्कार विधि" में संस्कारों का महत्त्व एवं विधान तथा आवश्यकता का वर्णन किया है, यह कृति मानव मात्र के कल्याण के लिए है। पुरोहित का अर्थ है- प्रेरणादाता, प्रेरित कर्ता,प्रचारक आदि हैं। "शुक्र नीति में पुरोहित को पूरे देश का हित कर्ता कहा गया है "पुरोहित प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले सभी प्रशिक्षणाथिर्यों को शुभकामनाएं तथा प्रशिक्षक आचार्य अग्नि देव शास्त्री एक निष्ठावान अति परिश्रमी विद्वान हैं, उनके नेतृत्व में यह गाजियाबाद का प्रशिक्षण केन्द्र प्रदेश के सर्वाधिक रचनात्मक और प्रभावी पहचान बनाएगा।
पूर्व बेसिक शिक्षा मंत्री बालेश्वर त्यागी ने कहा कि इस पौरोहित्य शिविर से संस्कृत भाषा व वेदों का प्रचार प्रसार बढ़ेगा,युवा पीढ़ी सुसंस्कारित होगी,सुसंस्कारित युवा पीढ़ी ही राष्ट्र की धरोहर है।उन्होंने आगे कहा कि पुरोहित शब्द का अर्थ ही है,पुर:+ हित, यानि सबसे पहले सबका हित चिंतक होता है,वह हर घर को संस्कारित करता है।पुरोहित वेद का विद्वान होता है,मानव विकास में वेद ने संस्कारों के महत्व की वैज्ञानिकता प्रतिपादित की है, संस्कारवान नागरिक देश की पहचान और शान है,संस्कारहीन मानव देश की अस्मिता की रक्षा के लिए उपयोगी नहीं हो सकता । योगी सरकार- अपने प्रदेश को आदर्श बनाना चाहती है इसलिए सरकार गंभीरता से इस प्रकार के कार्यक्रमों का संचालन कर रही है।
सन्यास आश्रम से पधारे स्वामी प्रेमानन्द जी ने कहा कि भारत भौतिक प्रगति के साथ- साथ देश की सहस्रों वर्ष पुरानी वैदिक संस्कृति में छिपे शाश्वत मानव मूल्यों की स्थापना विश्व में स्थापित करना चाहता है।विश्व में अनेक संस्कृतियां हैं,उनका अपना इतिहास है,लेकिन इन समस्त संस्कृतियों का मूल आधार वेद है।
प्रशिक्षक आचार्य अग्नि देव शास्त्री ने मंच का कुशल संचालन करते हुए कहा कि यह प्रशिक्षण केन्द्र प्रदेश के सर्वाधिक रचनात्मक और प्रभावी पहचान बनाएगा।इस संदेश को घर - घर पहुंचाने के लिए जो मिशन चलाया है,हम इस मिशन को पूरा करने में अपनी -अपनी भूमिकाएं निभाएंगे।
अंत में गुरुकुल के प्रबन्धक श्री मुनींद्र आर्य ने दूर दराज से पधारे लोगों का आभार व्यक्त किया।
इस अवसर पर मुख्य रूप से सर्वश्री बी डी शास्त्री,प्राचार्य डी के शुक्ला,राज कुमार शास्त्री,हर्ष बवेजा आदि मौजूद रहे।