सनातन धर्म की संस्कृत व संस्कृति की उत्पत्ति! गुरु के चरणों से ही होकर प्रारंभ होती है- बीके शर्मा हनुमान
— Monday, 3rd July 2023गाजियाबाद राजनगर आरडीसी प्राइवेट चिकित्सक वेलफेयर एसोसिएशन के राष्ट्रीय सचिव डॉक्टर कुमार देवाशीष ओझा के तत्वाधान में विश्व ब्रह्मर्षि ब्राह्मण महासभा/ प्राइवेट चिकित्सक वेलफेयर एसोसिएशन के संस्थापक अध्यक्ष ब्रह्मऋषि विभूति बीके शर्मा हनुमान जी का व्यास पूर्णिमा के शुभ अवसर पर सानिध्य पाकर आशीर्वाद प्राप्त कर अपने आपको गौरवान्वित किया डॉ कुमार देवाशीष ओझा ने बताया कि हर किसी के जीवन में गुरु का विशेष महत्व होता है। मनुष्य को गुरु का महत्व समझना चाहिए और जीवन पर्यंत उनका सम्मान करना चाहिए। उनके आशीर्वाद के बगैर मनुष्य अधूरे हैं। गुरु को पूर्णिमा यह बिना हम कोई शुभ कार्य शुरू नहीं करते। उनके द्वारा दी गई शिक्षा मनुष्य को जीवन भर काम आती है। उनके आशीर्वाद से कीमती चीज उनके शिष्य के लिए और कुछ हो ही नहीं सकती है। गुरु के प्रति हमेशा शिष्य के मन में श्रद्धा होनी चाहिए, तभी से अपने कार्य के बारीकियों को भलीभांति सीख सकते हैं।
ब्रह्मर्षि विभूति बीके शर्मा हनुमान ने बताया कि गुरु ही अपने ज्ञान से शिष्य को सन्मार्ग पर ले जाता है. गुरु का वास्तविक अर्थ तो यही ध्वनित होता है कि जो जीवन में गुरुता यानी वजन-शक्ति बढ़ाये. यह भौतिक पदार्थों से नहीं, बल्कि सत-शास्त्रों के निरंतर अध्ययन और चिंतन-मनन से ही संभव है. बाहरी गुरु से धोखा हो सकता है, लेकिन सत्साहित्य से व्यक्ति निरंतर वजनदार होता जाता है. सच तो यह है कि हर मनुष्य 'गोविंद' बन कर ही जन्म लेता है. यही कारण है कि शिशु को जन्म देते ही एक मां को ईश्वर को पाने जैसा सुख मिलता है. कबीर कहते हैं कि भगवान और गुरु दोनों साथ मिलें, तो गुरु के चरणों में समर्पित हो जाना चाहिए जिस गुरु की ओर कबीर का संकेत है, उस गुरु के दो चरण हैं- पहला चरण 'बुद्धि और दूसरा 'विवेक' है. जिसने भी गुरु के इन चरणों को मजबूती से पकड़ लिया, उसका गुरुत्व और गुरुत्वाकर्षण बढ़ जाता है. इस अवसर पर अमित चौधरी, शीला रानी,आरके वशिष्ठ, दिलीप कुमार,अभिजीत दत्ता, श्यामलाल सरकार, श्रीकांत मलिक,रंजीत पोद्दार,एसपी गुप्ता, सचिन भारती, सुजीत सिंह, देवाशीष ओझा, विनीत कुमार शर्मा,फुरकान अहमद,प्रवीण कुमार, गोपाल, मिलन मंडल, राकेश प्रजापति, सैकड़ों समर्पण भाव वाले मौजूद थे।