आइए सीखे महान विचारकों के साथ सफर कर स्वयं में निहित प्रकाश की खोज करने की कला

जीवन के सफर में यात्रा करने का कौशल एक गहन कला है। इस यात्रा की कल्पना केवल भौतिक स्थानों की यात्रा के रूप में न करे बल्कि यह रूपांतरण का सफर है जो हमारे अंत: से शुरू होकर स्वयं पर ही समाप्त होता है। नीले ग्रह पर अपना भ्रमण पूरा कर चुके इतिहास और सदी के महान विचारकों के जीवन अनुभवों में सीखने के लिए बहुत कुछ छिपा है। मैं अक्सर इस जीवन की चहल पहल के बीच समय निकालकर उन महान विचारकों के साथ यात्रा करता हूं जो जीवन के सबक मुझे सिखाते है।


सर्दियों के इस मौसम में तीन वर्ष पुरानी सीख की गर्माहट को मैं अभी भी महसूस कर सकता हूं जिसमें धार्मिक विद्वान और सूफी कवि जलालुद्दीन रूमी ने कहा था कि दूसरों की कहानियों से संतुष्ट मत होइए, दूसरों के साथ चीजें कैसे बीतीं बल्कि अपना खुद का मिथक उजागर करें। सुनने में यह केवल साधारण सी सीख लगती है लेकिन जीवन के विभिन्न आयामों में मैंने इस दृष्टिकोण से लोगों एवं स्थितियों का विश्लेषण करने का प्रयास किया तो मुझे इसकी अहमियत समझ आई।

रूमी ने मुझे जीवनपर्यंत रचनात्मक एवं वास्तविक होने की सीख सिखाई जो एक महत्वपूर्ण सबक था। इसने मुझे मेरी शैक्षिक योग्यता को कम आंकने वाले और मेरी संभावनाओं में विश्वास न करने वाले लोगों के नजरिए से ऊपर उठकर जीवन व्यतीत करने की प्रेरणा दी। साथ ही रूमी के इस विचार ने मुझे आशा दी कि मेरे साथ हुई विविध घटनाओं का उद्देश्य मेरी आत्मकथा को रोमांचक बनाना है ताकि सितारों से सजे इस आकाश में जब मैं एक सितारा बनूं तो मेरी चमक भी लोगों के लिए आशा की किरण बने।

यह यकीन करना थोड़ा मुश्किल है लेकिन केवल रूमी ने मुझे इतना सिखाया की मुझे अपने होने पर यकीन आता गया और मैं आज भी इन छोटे छोटे पहलुओं में छिपी सकारात्मकता का अनुभव कर मुस्करा रहा हूं। लेकिन बात करते है मेरी महान विचारकों के साथ शुरू हुई यात्रा के पीछे की कहानी की।

बात कुछ यूं है कि जब वर्ष 2020 में मैंने अपनी इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी की तो स्टार्टअप और उद्यमिता में मेरी रुचि के चलते मैंने परीक्षा का परिणाम आते ही कोलकाता के लिए उड़ान भरी जहां मैंने 8 माह से अधिक समय व्यतीत कर अपने पहले उद्यमिता प्रोजेक्ट के लिए खुद को समर्पित किया। मेरे लघु जीवन अनुभव और कुछ पुस्तकों का साथ पाकर मैंने उस जीवन के अध्याय को एक अर्थ देने का प्रयास किया। हालांकि वह किसी रोलर कोस्टर के सफर से कम नहीं था लेकिन स्टीव जॉब्स और रत्न टाटा जैसे महान विचारकों ने पुन: उस 17 वर्षीय युवा के पथ को प्रकाशित किया और एक आकांक्षी उद्यमी को सामाजिक उद्यमी बनाकर योगदान दिया।

उस समय मैंने पुस्तकों की अहमियत को समझा और महान विचारकों की पुस्तकों, कलाकृतियों, संगीत और व्याख्यानों के साथ यात्रा को अपनी दिनचर्या में शामिल किया। यह वह दौर था जब मुझमें रचनात्मकता, अद्भुत साहस और अपूर्व ऊर्जा का संचार हुआ और मैंने एक महत्वपूर्ण विचार को प्रमुख कंपनी बनाने के लिए खुद के समर्पित कर दिया। परिणाम आकांक्षा के अनुरूप थे और जल्द ही कंपनी से मुनाफा होने लगा लेकिन फिर कुछ घटनाओं के चलते मुझे कंपनी के दायित्व से छुट्टी मिली। पुन: मुझे महान विचारकों ने मार्गदर्शन दिया और स्वयं पर विश्वास करने के लिए प्रेरित किया और परिणामस्वरूप मैनें न्यूनतम निवेश में एक ऑनलाइन स्टार्टअप की नींव रखी जो काफी सफल रहा।

महान विचारकों के साथ चलने की कला में वास्तव में महारत हासिल करने के लिए, किसी को उनके लेंस के माध्यम से दुनिया को देखने का कौशल सीखना चाहिए। जिस तरह एक बहुरूपदर्शक समान तत्वों को असंख्य पैटर्न में बदल देता है, उसी तरह प्रतिभाशाली दिमागों की आंखों से वास्तविकता को देखना सांसारिक को असाधारण में बदल देता है। एक गुरु को अनिश्चितता के रात्रि आकाश को रोशन करने वाले उत्तरी सितारे के रूप में मानें। ऐसे व्यक्तियों की तलाश करें जिनकी बुद्धि आपकी आकांक्षाओं से मेल खाती हो, और उनकी शिक्षाओं को आपकी बौद्धिक यात्रा का मार्गदर्शन करने वाले नक्षत्र बनने दें। चाहे वह स्टीव जॉब्स की उद्यमशीलता की दूरदर्शिता हो या महात्मा गांधी के नैतिक प्रतिबिंब, सलाहकार न केवल ज्ञान प्रदान करते हैं बल्कि जीवन की जटिलताओं से निपटने के लिए दिशा-निर्देश भी प्रदान करते हैं।

एक पुस्तकालय को एक बगीचे के रूप में चित्रित करें, प्रत्येक पुस्तक ज्ञान का एक जीवंत फूल है जो तोड़े जाने की प्रतीक्षा कर रहा है। चलने की कला पन्ने पलटने, विचारों के लयबद्ध ताल से जीवन में आने से शुरू होती है। जिस प्रकार एक अच्छी तरह से चला हुआ रास्ता परिचित हो जाता है, उसी प्रकार महान विचारकों के लिखित शब्दों के माध्यम से यात्रा भी परिचित हो जाती है। किताबें विभिन्न युगों के लिए हमारा पासपोर्ट हैं, जो हमें अतीत और वर्तमान के बौद्धिक दिग्गजों के साथ आगे बढ़ने की अनुमति देती हैं। प्रत्येक लेखक, इस साहित्यिक परिदृश्य में एक मार्गदर्शक, विचार के नए क्षितिज प्रकट करता है।

प्लेटो के दार्शनिक शिखरों से लेकर रूमी की काव्य घाटियों तक, साहित्य का विविध क्षेत्र हमारी समझ की रूपरेखा को आकार देता है। जैसे-जैसे हम इन गहन कार्यों के पन्नों से गुजरते हैं, हम अपने मानसिक मार्गों को ज्ञान के पत्थरों से प्रशस्त करते हैं, दृष्टिकोणों की विविधता का पूर्ण दृश्य बनाते हैं जो हमारे विश्वदृष्टिकोण को समृद्ध करते हैं। जिस प्रकार एक कुशल यात्री अज्ञात क्षेत्रों में एक अनुभवी मार्गदर्शक की तलाश करता है, उसी प्रकार विचारों की भूलभुलैया में चलने की कला को मार्गदर्शन से लाभ मिलता है। बुद्धिमान गुरु, जीवित या अपने कार्यों की प्रतिध्वनि में, दिशासूचक के रूप में कार्य करते हैं, हमें स्पष्टता और उद्देश्य की ओर ले जाते हैं। एक पठन सूची बनाएं जो शैलियों, संस्कृतियों और युगों तक फैली हो।

अपने बौद्धिक परिदृश्य को समृद्ध करने के लिए विभिन्न महान विचारकों के ज्ञान में डूब जाएँ। समसामयिक विचारकों के व्याख्यान, कार्यशालाओं या ऑनलाइन कार्यक्रमों में भाग लें। उन सलाहकारों के साथ सार्थक संबंध स्थापित करें जो आपकी व्यक्तिगत और व्यावसायिक यात्रा पर मार्गदर्शन प्रदान कर सकें। नियमित रूप से अपने अनुभवों और विचारों पर चिंतन करें। जर्नलिंग आपको अपने विचारों के विकास को ट्रैक करने की अनुमति देती है और आपके विश्वदृष्टि पर महान विचारकों के प्रभाव को प्रतिबिंबित करने वाले दर्पण के रूप में कार्य करती है। अपनी अंतर्दृष्टि दूसरों के साथ साझा करें और बातचीत में शामिल हों। जब हम विचारों का आदान-प्रदान करते हैं, तो चलने की कला में गहराई आती है, जिससे बौद्धिक अन्वेषण के समुदाय को बढ़ावा मिलता है।

जीवन की भव्यता में महान विचारकों के साथ चलने की कला कोई मंजिल नहीं बल्कि एक सतत यात्रा है। प्रत्येक कदम के साथ, हम उन लोगों के पदचिह्नों में निहित ज्ञान को आत्मसात करते हैं जो हमसे पहले चले थे। साहित्य के प्रति प्रेम पैदा करके, मार्गदर्शन को अपनाकर और विविध दृष्टिकोण अपनाकर, हम आत्मज्ञान का मार्ग प्रशस्त करते हैं - जो समय और स्थान की सीमाओं को पार करता है। तो, अपने बौद्धिक जूते पहनें, अस्तित्व के पुस्तकालय का दरवाजा खोलें, और महान विचारकों के जीवंत क्षेत्र में कदम रखें। ज्ञान का सूर्य आपके मस्तिष्क के परिदृश्य पर अपनी परिवर्तनकारी रोशनी डालने के लिए तैयार होकर प्रतीक्षा कर रहा है।

लेखक के बारे में:
21 वर्षीय अमन कुमार, ट्यौढी बागपत उत्तर प्रदेश के मूल निवासी है। वह एक फोटोग्राफर, लेखक, विचारक, डिजाइनर, उद्यमी और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में प्रख्यात है। हाल ही में यूनिसेफ इंडिया ने भारत में बाल विकास को मजबूती देने के लिए अमन कुमार को नेशनल यू एंबेसडर भी नामित किया। वह विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय महत्व के सम्मेलनों में प्रतिभाग करने का गौरव रखते है। विभिन्न संस्थानों ने शिक्षा रत्न, चेंजिंग चॉक्स, हीलिंग लाइट्स, नमो सम्मान, एम्पावर अवार्ड, नीरा अमृत सम्मान, गुरु शिरोमणि अवार्ड, मोस्ट वैल्युएबल यू रिपोर्टर अवार्ड से नवाजा है। सामाजिक विकास और युवा सशक्तिकरण के क्षेत्र में वह एक महत्वपूर्ण व्यक्तित्व के रूप में जाने जाते है। जलवायु परिवर्तन, शिक्षा, सतत विकास लक्ष्य, लैंगिक समानता, शांति, सहकारिता, युवा विकास हेतु कार्य कर रहे है। नेहरू युवा केंद्र संगठन, यूनेस्को ग्लोबल यूथ कम्युनिटी, हंड्रेड इनोवेशन एक्सपर्ट, यूएनएफसीसीसी योंगो, ग्लोबल यूथ बायो डायवर्सिटी नेटवर्क आदि से जुड़े है। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय से समाज कार्य की शिक्षा ग्रहण कर रहे है और उड़ान युवा मंडल के अध्यक्ष है। प्रोजेक्ट कॉन्टेस्ट 360 के तहत युवाओं को शैक्षिक अवसरों की जानकारी देते है जिसको इंटरनेट पर 7.6 मिलियन से अधिक बार देखा जा चुका है।

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