अपहृत हुए बिल्डर विक्रम त्यागी का 8 महीने बाद भी नही लगा कोई सुराग!
— Thursday, 18th February 2021गाजियाबाद :- राजनगर एक्सटेंशन से अपहृत हुए बिल्डर विक्रम त्यागी का आठ महीने बाद भी कोई सुराग नहीं लग सका है। बीते दिनों मेरठ जोन में मिले सौ से अधिक लावारिस शवों के फिंगर प्रिंट का मिलान कराने के बाद भी पुलिस को कोई क्लू नहीं मिल सका। कुल मिलाकर हाईटेक कही जाने वाली गाजियाबाद पुलिस के अधिकारी विक्रम त्यागी अपहरणकांड का खुलासा करने में पूरी तरह विफल साबित हुए हैं। पुलिस ने मथुरा तक मिले लावारिस शवों के फिंगर प्रिंट मंगाकर मिलान के लिए लैब भेजने का फैसला लिया है।
बता दें कि 26 जून 2020 को बिल्डर विक्रम त्यागी का राजनगर एक्सटेंशन से अपहरण हो गया था। अगले ही दिन बिल्डर की खून से सनी कार शामली के तितावी क्षेत्र में लावारिस मिली थी। पुलिस को कार पर करीब 30 से अधिक निशान मिले थे। विक्रम त्यागी का पता लगाने के लिए पुलिस ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लुटेरे गैंग खंगाले, तो वहीं मेरठ जोन में मिली लावारिस लाशों का डाटा भी इकट्ठा किया था। पुलिस ने मेरठ जोन के करीब सौ से अधिक लावारिस शवों को फिंगर प्रिंट बिल्डर की कार पर मिले निशानों से मिलान के लिए लैब भेजे थे। कोई न कोई सुराग मिलने की आस थी, लेकिन कुछ दिन पहले रिपोर्ट आई तो पुलिस को निराशा हाथ लगी। सौ से अधिक शवों में से किसी के भी फिंगर प्रिंट का मिलान कार पर मिले निशानों से नहीं हो सका।
आठ माह बाद भी विक्रम का कोई सुराग न लगने पर पुलिस व परिजन अनहोनी की आशंका भी जाहिर कर रहे हैं। हालांकि, पुलिस विक्रम को तलाशने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है। इसी कड़ी में पुलिस ने अब मेरठ जोन के अलावा मथुरा तक मिले लावारिस शवों का डाटा इकट्ठा करने का फैसला लिया है। उन लावारिस शवों को फिंगर प्रिंट फोरेंसिक लैब को भेजे जाएंगे, जिनकी कद काठी और उम्र विक्रम त्यागी जैसी थी।
अपहरणकांड को लेकर विक्रम त्यागी के परिजनों ने हाईकोर्ट की शरण ली थी। गत सितंबर माह में परिजनों ने अर्जी लगाई थी, जिस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने पुलिस को 6 माह के भीतर मामले का निस्तारण करने के निर्देश दिए थे। साथ ही आदेश दिया था कि एसएसपी मामले की विवेचना की खुद मॉनिटरिंग करें। हाईकोर्ट ने यह भी कहा था कि पुलिस बिना देरी के विवेचना संपन्न करे। हाईकोर्ट के आदेशानुसार अगले महीने में पुलिस को केस की स्टेट्स रिपोर्ट देनी है।