गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागूं पाय, बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताय

गुरूजी, मास्टर जी और सर जी तीनों ही एक दूसरे के पर्याय हैं। किसी ने गुरूजी संबोधन से शुरुवात की, किसी ने मास्टर जी और किसी ने सरजी से। हर दौर पर गुरु से ही शिक्षा और संस्कार का मार्ग प्रशस्त हुआ है। ऐसे ही हमारे गुरूजी हैं मुकुंद स्वरूप शर्मा। जिन्होंने हमें 1979 में गाजियाबाद के इंग्राहम हायर सेकंडरी स्कूल में शिक्षा ग्रहण कराई। हमारा चारित्रिक निर्माण कराया। आज उनके जन्मदिन की पता पड़ते ही गुरूजी का आशीर्वाद लेने पहुंच गए। एक बार को तो उन्होंने ठीक से पहचाना नहीं चेहरे में हुए बदलाव से अंदाजा नहीं लगा पाए। जब पुरानी चर्चा चली तो सब याद आ गया। हमने उनके परिवार के साथ हंसी खुशी के काटकर उनके जन्मदिन को मनाया बड़ा ही भावुकपल हो गया था जिसे हम महसूस करके हम भावविभोर भी हो रहे थे और अपने गुरूजी के जन्मदिन का आनंद भी ले रहे थे। इस दौरान साथ में सुनील अत्री और हमारे अन्य मित्रगण तथा उनके परिवार के बच्चे उपस्थित रहे। समाचार पत्र परिवार की ओर से जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।

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