AQI 300-400 का मतलब एक दिन में 4-5 घंटे कम हो रही है ज़िंदगी
— Friday, 3rd November 2023वर्ष 2019 में, दिल्ली ने 110 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की वार्षिक औसत पीएम 2.5 सांद्रता दर्ज की, जो दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले शहरों में सबसे ज्यादा है. अक्टूबर का महीना शुरू होने के बाद अब दिल्ली एनसीआर में एक बार फिर प्रदूषण का ग्राफ ऊपर चढ़ना शुरू हो गया है. बीते कई सालों में देखने को मिला है कि दिवाली के पास दिल्ली एनसीआर गैस चैंबर में तब्दील हो जाता है. जिसके चलते लोगों को कई प्रकार की स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ता है.
(PM) 2.5 और (PM) 10 की बढ़ोतरी:-
वरिष्ठ सर्जन डॉ बीपी त्यागी बताते हैं कि हवा में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर (PM) 2.5 और (PM) 10 समेत कई प्रकार की गैस (सल्फरडाइऑक्साइड, कार्बनडाइऑक्साइड,कार्बन मोनोऑक्साइड ,नाइट्रस ऑक्साइड) की मात्रा बढ़ने से हवा प्रदूषित व जान लेवा हो जाती है. पार्टिकुलेट मैटर (PM) 2.5 और (PM) 10 नाक के रास्ते होते हुए साइनस (Sinus) में जाते हैं. साइनस द्वारा बड़े पार्टिकुलेट मैटर को फिल्टर कर लिया जाता है जबकि छोटे कण फेफड़ों के आखरी हिस्से (Bronchioles व alveoli तक पहुँच जाते हैं pm 2.5 और फेफड़े की उस झिल्ली को ब्लॉक करते है जिससे ऑक्सीजन छनकर शरीर में जाती है ।
N2/No2 छोटे व नवजात में ब्रेन व स्पाइनल कॉर्ड को पर्भावित करके इनकी बीमारिया पैदा करती है । इनको न्यूरल ट्यूब डिफ़ेक्ट्स बोलते है ।
० Sinusitis और Bronchitis का खतरा:-
डॉ त्यागी के मुताबिक पार्टिकुलेट मैटर साइनस में जब अधिक मात्रा में खट्टा होते हैं तब साइनोसाइटिस (Sinusitis) का खतरा बढ़ जाता है. जबकि यह क नगर फेफड़ों के आखिरी हिस्से तक पहुंचते हैं तो उससे ब्रोंकाइटिस (Bronchitis) का खतरा बढ़ जाता है. व alveoli की सूजन से एल्वेलिटिस का होता है ब्रोंकाइटिस व एल्वेलिटिस के चलते शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह कम हो जाता है. जिससे कि शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है. शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने पर कई प्रकार की परेशानी सामने आती है,जैसे अस्थमा ,हार्ट अटैक , ब्रेन अटैक व अल्ज़ाइमर ।
आँख पर अगर इतने पोल्युशन में चस्मा न लगाये तो कंजंक्टिविटिस हो जाता है ।
० घर पर तैयार करें कॉटन मास्क:-
आमतौर पर देखने को मिलता है कि खुले स्थान पर कामकाज करने वाले लोग प्रदूषण से ज्यादा प्रभावित करते हैं. किसी की डिलीवरी ब्वॉय, ऑटो चालक, दिहाड़ी मजदूर, फ्री जॉब करने वाले लोग आदि. डॉक्टर त्यागी बताते हैं कि जो लोग अधिकतर समय खुले में बिताते हैं उन्हें प्रदूषण काफी नुकसान पहुंचाता है ऐसे में प्रदूषण से बचने के लिए उपाय करना भी बेहद जरूरी है. खुले भी अधिकतर समय बिताने वाले लोग घर में कॉटन का 4 लेयर का मास्क तैयार कर सकते हैं. जिसे गीला करके वह अपने चेहरे पर लगा सकते हैं. जिससे कि पार्टिकुलेट मैटर सांस के रास्ते शरीर में प्रवेश नहीं कर पाते हैं. गीला होने के चलते पार्टिकुलेट मैटर मास्क में चिपक जाते हैं. हालांकि मास्क को समय-समय पर धोने की आवश्यकता होती है.।
० बाहर निकलने से करें परहेज:-
सुबह और शाम लोग टहलने जाते हैं. खासकर बुजुर्ग और बच्चे शाम के वक्त पार्कों में दिखाई देते हैं. प्रदूषण से सबसे ज्यादा खतरा बुजुर्ग और बच्चों को होता है. डॉ त्यागी बताते हैं कि कि जब प्रदूषण का स्तर सामान्य से काफी अधिक हो तो घर के बाहर जाने से बचें. खासकर वह लोग जिन की प्रतिरोधक क्षमता कम है. बच्चों और बुजुर्गों को भी बाहर जाने से परहेज करना चाहिए. एक्सरसाइज आदि भी घर के अंदर करें.
इंडोर प्लांट्स जैसे ऐलोवेरा,पॉल्म, साँप के पौधे, मकड़ी के पौधे, रबर के पौधे, पीस लिली, फ़र्न और इंग्लिश आइवी ऑक्सीजन के स्तर को बढ़ाने के लिए सबसे अच्छे इनडोर पौधों में से कुछ हैं।
बता दें, दुनिया भर में दस में से नौ लोग सुरक्षित हवा में सांस नहीं लेते है. वायु प्रदूषण विश्व स्तर पर हर साल 70 लाख लोगों को मारता है, जिनमें से 40 लाख घर के अंदर वायु प्रदूषण से मर जाते हैं. यह संख्या कोविड 19 से कही ज़्यादा है ।एक सूक्ष्म प्रदूषक (पीएम 2.5) इतना छोटा होता है कि यह फेफड़ों, हृदय और मस्तिष्क को नुकसान पहुंचाने के लिए श्लेष्म झिल्ली और अन्य सुरक्षात्मक बाधाओं से गुजर सकता है. वायु प्रदूषण से बच्चे , बूढ़े व कैंसर के मरीज़ सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं. जलवायु परिवर्तन के लिए वायु प्रदूषण भी जिम्मेदार है.