संत गाडगे धोबी समाज सुधार समिति द्वारा बाग वाली कॉलोनी शास्त्री नगर गाजियाबाद में 67 वे परिनिर्वाण दिवस माल अर्पण कर मनाया गया
— Wednesday, 20th December 2023स्वच्छता अभियान के जनक शिरोमणि संत गाडगे जी आज संत गाडगे धोबी समाज सुधार समिति द्वारा बाग वाली कॉलोनी शास्त्री नगर गाजियाबाद में का 67 वे परिनिर्वाण दिवस माल अर्पण कर मनाया गया अध्यक्ष राम अवतार महामंत्री रमेश चौहान , जीवन सिंह ,अशोक कुमार ,नाथू सिंह , मुकेश कुमार. चमन लाल .बलवीर . सतीश कुमार ,अनिल कुमार , पवन कुमार कृष्ण कुमार . जितेन्द्र गौड धोबी,नानक चंद. मनोज कुमार.संजय माथूर. .पवन .प्रेमपाल .सुभाष चंद्र .राजेंद्र खत्री अनिल भोले .बालवीर .श्री चंद दिवाकर .जितेंद्र गोड धोबी , मानसिंह चौहान सुरेन्द्र कुमार पप्पू रोशन लाल विकास माथुर .. चोधरी लखीराम नेपाल सिंह गजेन्द्र सिंह. लच्छी राम वर्मा .छोटेलाल कनौजिया श्रीपाल दिवाकर राजीव दिवाकर विकास माथुर देवी शरण लखनपाल मागेराम ललित कुमार, राजीव कुमार बैजनाथ रजक अनिल,राजेंद्र सिंह आदि मौजूद रहे मंच संचालन छोटे लाल कनोजिया ने किया अतिथि के रूप मे अखिल भारतीय धोबी महासंघ के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष श्री कमलेश चौधरी जी रहे तथा विशेष अतिथि के रूप में गाजियाबाद निगम पार्षद डॉ पवन कुमार गौतम शामिल हुए संत गाडगे जी के जीवन पर प्रकाश डाला हमेशा अपने जीवन के एकमात्र ध्येय पर अटल रहे और वो था 'लोक सेवा'। दीन-दुखियों तथा उपेक्षितों की सेवा को ही वे ईश्वर भक्ति मानते थे। धार्मिक आडंबरों का उन्होंने प्रखर विरोध किया। दरिद्र नारायण के रूप में ईश्वर मानव समाज में विद्यमान है। मनुष्य को चाहिए कि वह इस भगवान को पहचाने और उसकी तन-मन-धन से सेवा करें।
भूखों को भोजन, प्यासे को पानी, नंगे को वस्त्र, अनपढ़ को शिक्षा, बेकार को घर व धर्म के नाम पर होने वाली पशुबलि के भी वे विरोधी थे
संत गाडगे द्वारा स्थापित 'गाडगे महाराज मिशन' आज भी समाजसेवा के कार्य में लगे हुए हैं। 20 दिसंबर 1956 को मानवता के महान उपासक गाडगे बाबा के ब्रह्मलीन होने पर प्रसिद्ध संत तुकडो जी महाराज ने श्रद्धांजलि अर्पित कर अपनी एक पुस्तक की भूमिका में उन्हें मानवता के मूर्तिमान आदर्श के रूप में निरूपित कर उनकी वंदना की।
दरिद्र नारायण के लिए वे प्रतिवर्ष अनेक बड़े-बड़े अन्नक्षेत्र भी किया करते थे, जिनमें अंधे, लंगड़े तथा अन्य अपाहिजों को कंबल, बर्तन आदि भी बांटे जाते थे। सन् 2000-01 में महाराष्ट्र सरकार ने 'संत गाडगे बाबा ग्राम स्वच्छता अभियान' की शुरुआत की, जिसके अंतर्गत जो लोग अपने गांवों को स्वच्छ और साफ-सुथरा रखते है उन्हें यह पुरस्कार दिया जाता है। संत गाडगे बाबा ने बुद्ध की तरह ही अपना घर परिवार छोड़कर मानव कल्याण के लिए अपना संपूर्ण जीवन समर्पित कर दिया। ऐसे थे हमारे राष्ट्रसंत गाडगे बाबा।