"जन्म और मृत्यु अभिन्न मित्र" पर गोष्ठी संपन्न

रविवार, 2 जुलाई 2023, केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में " जन्म और मृत्यु अभिन्न मित्र" विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया। यह करोना काल से 553 वा वेबिनार था।

वैदिक विद्वान् आचार्य हरिओम शास्त्री ने कहा कि  जन्म और मृत्यु के दोनों पंखों के सहारे जीवात्मा रूपी पक्षी संसार की यात्रा करती है। मुक्ति होने तक जीव के ये दोनों मित्र कभी भी इसका साथ नहीं छोड़ते हैं।
*आगाह अपनी मौत से कोई बशर नहीं।सामान सौ बरस का पल की ख़बर नहीं।।* 
वेद ने कहा है कि -
*द्वा सुपर्णा सयुजा सखाय:,समानं वृक्षं परिषष्व जाते।तयोरन्य:पिप्पलं स्वादयत्यश्नन्योऽभिचाकशीति।।*  अर्थात् -एक ही वृक्ष पर समान रंग रूप के दो पक्षी बैठे हैं। उनमें से एक उस वृक्ष के फलों का स्वाद ले लेकर खाता है और दूसरा उन्हें न खाकर केवल अपने साथी को फलों को खाते हुए देखता है।
इसमें परमात्मा और जीवात्मा रूपी दो अभिन्न मित्र प्रकृति रूप वृक्ष पर बैठे बताए गए हैं। उनमें से एक जीवात्मा रूपी पक्षी उस प्रकृति रूप वृक्ष का फल खाता है और दूसरा परमात्मा रूपी पक्षी उसे खाते हुए देखता है परन्तु उन फलों को खाता नहीं है।।
इसी भोग का परिणाम जन्म और मृत्यु तथा तरह तरह के रोग हैं। सारे जीवन में एक ही चीज जीव को घुमाती रहती है।
*हासिल ऐ जिन्दगी हसरतों के सिवा कुछ भी नहीं।यह किया नहीं वह हुआ नहीं यह मिला नहीं वह रहा नहीं।।* 
कर्म करने का अधिकार जीवात्मा के जिम्मे होता है परन्तु उनका फल प्राप्त करना उसके अधीन नहीं है। कर्म किया गया है तो उसका फल भी उसी समय तय हो गया है।
अतः केवल कर्म करने पर ही ध्यान रखें फल तो उनका मिलेगा ही। क्योंकि -
*उठाना सबको पड़ता है थका हुआ बदन अपना।कि जबतक सांस चलती है कोई कंधा नहीं देता।।*
इसलिए इनकी परवाह न करके केवल मुक्ति की प्राप्ति का प्रयास करना चाहिए।।
मुख्य अतिथि आर्य नेता आनन्द सिंह आर्य व अध्यक्ष रजनी चुघ ने कहा कि जन्म मृत्यु एक सिक्के के दो पहलू हैं। राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि "न जन्म कुछ, न मृत्यु कुछ। बस इतनी सी बात है किसी की आंख खुल गई किसी को नींद आ गई।
राष्ट्रीय मंत्री प्रवीण आर्य ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

गायिका प्रवीणा ठक्कर, कमलेश चांदना, जनक अरोड़ा, ईश्वर देवी, कमला हंस, विजय खुल्लर, पिंकी आर्या, कुसुम भण्डारी, सरला बजाज, वीना आर्या, कौशल्या अरोड़ा आदि ने मधुर भजन प्रस्तुत किए।

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